बहुत दिनों तक लगातार ऑफिस में काम करने के बाद, एक दिन जब हम मिले, तो हमने कहीं घूमने जाने का मन बनाया ताकि हम अपने ऑफिस की थकान को भुलाकर थोड़ा अच्छा और तरोताज़ा महसूस कर सकें, इसीलिए हमने भोलेनाथ की शरण में, बनारस जाने का फैसला किया, और जब हमने घर पर अपने इस फैसले के बारे में बताया, तो घरवाले भी झट से साथ में चलने को तैयार हो गए।
फिर क्या था, अगले ही दिन मैनें दोनों परिवारों के लिए
काशी विश्वनाथ ट्रेन से टिकट बुक कर दी, और फिर मैं और मेरा मित्र सौरभ सक्सेना
अपने-अपने परिवार के साथ बनारस के लिए निकल पड़े। रास्ते के लिए मम्मी ने आलू की सब्ज़ी और पूड़ी बना के रख ली थी, और भाई कुरकुरे और बिसकिट्स ले आया था, और सौरभ भाई के घर से भी आंटी पूड़ी सब्ज़ी और
नमकीन वगैरह खूब रख लायी थी।
हम लोग समय के पहले ही चारबाग़ स्टेशन पहुँच गये, और थोड़ी देर प्लेटफॉर्म पर इंतज़ार करने के बाद ही, ट्रेन अपने निर्धारित समय से आ गयी, और हम लोग अपनी- अपनी सीट पर बैठ गए और 25 मिनट बाद हमारी ट्रेन बनारस के लिए निकल पड़ी। हम सब लोग आपस मे खूब देर तक बाते करते रहे, फिर सबने पूड़ी सब्ज़ी का आनंद लिया, और फिर सब लेट गए।
मैं और सौरभ घूमने के लिए बहुत अधिक उत्साहित थे, शायद इसीलिए हम दोनों को नींद भी नहीं आयी, हम लोग रात भर घूमने का प्लान बनाते रहे, और सुबह 5 बजे हम लोग बनारस स्टेशन पहुंच गए। स्टेशन से
बाहर आकर हम लोगो ने ऑटो किया, और फिर हॉटेल के
लिए हमारी तलाश शुरू हुई।
हमें एक ऐसा होटेल चाहिए था, जहाँ पर कमरों में AC लगा हो क्योंकि गर्मी भी पूरे जोर शोर से
पड़ रही थी, और जो काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब भी हो, ताकि हम लोग आसानी से दर्शन कर सकें। करीब 1 घंटे तक होटल ढूढ़ने के बाद हमारी तलाश पूरी हुई, और हमने मणिकर्णिका घाट के पास एक होटल में दो कमरे ले लिए।
कमरे में पहुँच कर सबने थोड़ी देर आराम किया, और फिर नहा धोकर सब लोग बाबा काशी
विश्वनाथ के दर्शन के लिए निकल पड़े, हमारे होटल से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर ही मंदिर था, इसलिए सबने पैदल
घूमते घूमते जाने का फैसला किया। सब लोग घूमते घूमते मंदिर पहुँचे तो देखा दर्शन
के लिए 500 मीटर लंबी लाइन लगी है। हम लोग भी उसी लाइन में लग गए। मंदिर का रास्ता
बहुत ही संकरा था, जैसे कोई छोटी गली और उसी गली में
किनारे- किनारे फूलों और प्रसाद की दुकानें भी लगी थीं, और उसी गली से लोग साईकल और मोटर साईकल
लेकर भी गुजर रहे थे। उस गली में खड़ा होना भी मुश्किल
हो रहा था, किसी तरह हम लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहे थे, कि अचानक एक व्यक्ति हमारे पास आया, और बोला कि मैं आप लोगों को VIP दर्शन करा सकता हूँ और इसके लिए 400 रुपये प्रति व्यक्ति लगेंगे।
एक बार हमने सोचा कि कर लेते हैं, जल्दी दर्शन मिल जाएंगे, लेकिन फिर अगले ही
पल सोचा की भगवान के दर्शन के लिए क्या सोर्स लगाना, लाइन में लग कर ही
चलते हैं। और इस तरह हम लोग आगे बढ़ गए, आगे जाकर देखा तो पता चला, कि वो लोग VIP दर्शन के नाम पर लोगों को पीछे से ले जाकर आगे लाइन में खड़ा कर देते हैं, और पैसे ऐंठ लेते हैं, और वहाँ पर लोंगो की सुरक्षा में खड़े पुलिस वाले भी ऐसे लोगों से सावधान रहने के लिए सभी को जागरूक कर रहे थे। यह सब देखकर हम
लोगों ने सोचा कि अच्छा हुआ हम लोग बच गए, और फिर लगभग 2 घंटे लाइन में लगने के बाद, हम सबने बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन
किये।
दोस्तों भीड़ इतनी ज्यादा थी, कि शायद ही, 1 मिनट भी दर्शन किया हो, उसके बाद पुलिस वाले सबको बाहर कर देते। खैर किसी तरह हम
सबने अच्छे से दर्शन किये और फिर पूरा मंदिर भी घूमा। दोस्तों मंदिर का शिखर सोने का बना हुआ है, और दरवाज़ों पर भी बेमिसाल और खूबसूरत
नक्कासी की गयी है।
उसके बाद एक अच्छे रेस्तरां में खाना खाकर वापस अपने होटल आ गए। सब लोग लाइन में लगे लगे थक भी गए थे, इसीलिए सब ने थोड़ी देर आराम किया।
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उसके बाद लगभग 4 बजे हम लोग घाट घूमने के लिए निकले और टहलते टहलते हम लोग मणिकर्णिका घाट पहुँच गए। दोस्तो वहाँ पहुँच कर हम सब
थोड़ी देर के लिए स्तब्ध रह गए। क्या खूबसूरती थी वहाँ की, गंगा नदी अंगड़ाइयां लेते हुए निरंतर बह रही थी, और पूरा घाट लोगों से खचाखच भरा हुआ था। घाट के किनारे
किनारे नाव और स्टीमर लगे हुए थे। हम लोगो ने एक स्टीमर
बुक किया, और सब लोग उसमे बैठकर सारे घाट घूमने के लिए निकल पड़े।
दोस्तों काशी को घाटों का शहर भी बोला जाता है। स्टीमर में बैठ कर हमने सारे घाटों को देखा, और हमारे स्टीमर चालक ने भी हमे सारे घाटों के बारे में विस्तार से
बताया,उसके बाद उसने स्टीमर को नदी के दूसरे किनारे पर लगाया और फिर मैंने और मेरे भाई ने निर्मल गंगा में स्नान भी किया।
कहा जाता है कि, गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल
जाते हैं, तो मैंने सोचा क्यों न मैं भी अपने पाप धुल लूँ। स्नान और सारे घाटों के
घूमने के बाद चालक ने हमारे स्टीमर को घाट के नज़दीक
लगा दिया, और फिर वहाँ से हमने भव्य गंगा आरती का भी मज़ा लिया।
दोस्तों गंगा आरती देखने के लिए सभी नाव एक साथ घाट के
किनारे नदी में लगा दी जाती हैं, और सभी लोग नाव पर
बैठ कर ही गंगा आरती में भाग लेते हैं, सभी घाटों पर एक साथ मंत्रोउच्चारण के साथ भव्य आरती की जाती है। उसके बाद सभी लोग दीप और पुष्प मां गंगा को
अर्पित कर देते हैं। गंगा आरती देखने के बाद हम लोग खाना
खाकर वापस अपने होटल में आ गए।
अगले दिन सुबह हम सब फिर नई जगह घूमने के लिए उत्सुक थे हम
लोगो ने ऑटो बुक किया और फिर भगवान बुद्ध की शरण सारनाथ घूमने के लिए निकल पड़े। सारनाथ में भगवान बुद्ध के स्तूप और
एक विशाल प्रतिमा तथा एक संग्रहालय भी है, जिसमें बुद्धा के जीवन और उनके उपदेशों को दर्शाया गया है यहाँ आकर मन को बहुत
शांति महसूस होती है।
उसके बाद हम लोग बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अंदर बने बिड़ला मंदिर के दर्शन के लिए भी गए। दोस्तों यह एकदम
काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही बना है पर यहां पर सफाई और सुविधाएं वहां से बेहतर हैं।
फिर हम लोग रामनगर का किला घूमने गए और वहां की मशहूर और स्वादिष्ट चाट भी खाई उसके बाद सब लोग बनारस की मशहूर साड़ियों का कारखाना देखने गए और बनारसी साड़िया कैसे बनाई
जाती हैं उसकी भी जानकारी प्राप्त की । उसके बाद सबने बनारस का मशहूर पान खाया और खरीददारी भी की और फिर हम सब लोग रात की ट्रेन से वापस
लखनऊ आ गए ।
दोस्तों बनारस घूमने के लिए एक बहुत ही बढ़िया जगह है।
ज्यादातर यहां पर विदेशी और दक्षिण भारतीय लोग भारी मात्रा में घूमने आते हैं।
अगर आप भी बनारस घूमने की सोच रहे है, तो 2 से 3 दिन का समय पर्याप्त होगा।
दोस्तों आप लोगों को हमारा सफर कैसा लगा।
कमेंट बॉक्स में अपने विचारों के माध्यम से अवश्य अवगत कराएं।
आपका
बहुत बहुत आभार ।।।।
You missed the "bhaang ki pakori" :D
ReplyDeleteyes sir because i was with family :)
Deleteबहुत अच्छा...
ReplyDeleteधन्यवाद सर बहुत बहुत आभार
Deleteबहुत बढ़िया । बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे मैं ख़ुद बनारस दर्शन कर राई थी ।।। kuddos... well written
ReplyDeleteआभाराम मैडम |
DeleteThanks bro
ReplyDeleteबहुत बढ़िया शानदार जानदार
ReplyDeleteGood keep going
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