दोस्तों, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं, कि यातायात के माध्यम से हम लोग एक जगह से दूसरी जगह आसानी से यात्रा कर सकते हैं।
आज हमारे पास यातायात के अनेक साधन उपलब्ध हैं, जैसे :- साईकल, मोटर साइकिल, कार, बस, ट्रेन, हवाई जहाज, ऑटो, टैक्सी आदि जिनकी सहायता से हम लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से आ और जा सकते हैं।
लेकिन दोस्तों ज़रा सोचिए, "अगर आपके पास यातायात के लिए इनमें से कोई भी साधन उपलब्ध न हो "!
यह सोचकर ही, ऐसा लगता है, की "ज़िंदगी मानो एक ही स्थान पर ठहर सी गयी हो।"
दोस्तों पहले, जब यातायात के इन साधनों का अविष्कार भी नहीं हुआ था, तब लोग पैदल ही आवागमन किया करते थे। एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में उन्हें कई-कई दिन और रात लग जाते थे। दिन भर वो लोग चलते थे, और रात में रास्ते में ही कहीं, उचित स्थान देखकर रुक जाते थे, और रास्ते के लिए जो सत्तू , चना या चबैना घर से बांधकर लेकर चलते थे, उसको खाकर रात में विश्राम कर लिया करते थे, और सुबह उठकर फिर यात्रा प्रारंभ कर दिया करते थे ।
कई लोग घोड़े, हाथी, ऊँट और बैलगाड़ी आदि का भी प्रयोग यातायात के लिए करते थे। किन्तु अधिकतर लोग बैल, घोड़े और हाथी जैसे पालतू जानवर भी नहीं रख पाते थे, क्योंकि उनको भी चारा देना पड़ता था, जैसे : आजकल वाहनों में पेट्रोल और डीजल देना पड़ता है।
किन्तु, निर्धनता अधिक होने के कारण वो उनके चारे की भी व्यवस्था नहीं कर पाते थे।
दोस्तों उस समय जिसके पास घोड़ा या बैलगाड़ी होती थी, उसकी गणना धनवानों में की जाती थी, और उसकी ख्याति आस - पास के कई गाँवों तक फैल जाती थी। उस समय यात्रा करना आज जितना आसान नहीं था। आजकल अगर कहीं जाना हो, तो बस बाइक उठाई और भर्र,,र,,र ,,र,, से निकल लिए, अगर लंबी दूरी की यात्रा करनी है, तो बस या ट्रेन से चल दिए।
एक देश से दूसरे देश के लिए हवाई जहाज का प्रयोग कर लिया। यातायात के इन उन्नतशील साधनों ने सभी के जीवन को, और आवागमन को सुगम बना दिया है।
लेकिन अब, जब लोगों के पास यातायात के इतने साधन हैं, जो कि समय और श्रम दोनों की बचत करते हैं, तो अब लोगो के पास पर्याप्त समय ही नही है।
लोग इन साधनों का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं। और वे यह भी भूल जाते हैं कि, कोई भी साधन जितना सुविधाजनक होता है, उतना ही हानिकारक भी होता है।
आजकल जनसंख्या वृद्धि और साधनों की सहज उपलब्धता के कारण सड़को पर ट्रैफिक जाम बहुत बढ़ गया है, जो न कि, सिर्फ प्रदूषण का कारण है बल्कि तरह तरह की बीमारियों जैसे : अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, एलर्जी, आदि का भी ज़िम्मेदार है।
सभी लोगों को अपने गंतव्य तक पहुँचने की बहुत जल्दी होती है, जिसके कारण वे यातायात के नियमों का उल्लंघन करने से भी पीछे नहीं हटते।
और तो और हमारी सेवा में जो ट्रैफिक पुलिस वाले खड़े रहते है, उनकी भी, परवाह किये बिना उनको गाली देते हुए ऐसे निकल जाते हैं, जैसे वो हमें गंतव्य तक जाने से रोक रहें हो।
लोगों की वाहन चलाते समय इतनी शीघ्रता देख कर, बचपन में पढ़ाई गयी, मुझे अंग्रेजी की एक कहावत याद आती है :- "Haste Makes Waste". लेकिन शायद अब लोग इसे भूलते जा रहे हैं।
आजकल लोग अपना कीमती समय कहीं और बेकार की बाते करके या फालतू घूमकर व्यर्थ ही क्यूँ न गवां दे, लेकिन सड़क पर सबको बड़ी जल्दी रहती है, सभी को एक दूसरे से आगे निकलना रहता है।
और तो और जल्दी की इंतहा तो तब हो जाती है, जब एक साईकल वाला दूसरे साईकल वाले से टकरा जाता है और फिर दोनों एक दूसरे को कहते हैं : "अंधे हो का बे। दिखाई नहीं देता है।"
और इसी शीघ्रता में वो खुद को भी हानि पहुँचाते हैं, और दूसरों को भी।
कभी कोई बाएं से कट मारता है, तो कोई दाएं से, कोई बीच सड़क पे अचानक गाड़ी रोक देता है, कोई बिना इंडीकेटर दिए गाड़ी मोड़ लेता है, बैटरी चलित रिक्शे वाले भी ऐसे रिक्शा चलाते हैं, जैसे प्लेन उड़ा रहे हो।
यहाँ तक कि पैदल चलने वाले लोग भी वाहनों के रुकने का इंतज़ार नहीं करते, और बिना इंतज़ार किये ही सड़क पार करने लगते हैं।
नौजवान युवक और युवतियां हेलमेट लगाना पसंद नहीं करते, बल्कि हेड फ़ोन लगाकर गाना सुनते हुए, और मोबाइल फ़ोन पर बातें करते हुए वाहन चलाना ज्यादा पसंद करते हैं ।
लोग ट्रैफिक नियमों को अनदेखा कर अपनी मर्ज़ी से, अपने नियमों से गाड़ी चलाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप रोज़ ही हम लोग अपनी आंखों के सामने विभिन्न प्रकार से दुर्घनाएं घटित होते देखते हैं, और रोज़ ही अखबार में एक दो पेज दुर्घटनाओं की दुखद दास्तां बयाँ करते हैं।
अगर हम लोग खुद ही, इस प्रकार यातायात नियमों का उल्लंघन करेंगे, तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या सिखाएंगे ??
इसलिए हम सभी लोगों को यातायात नियमों का पालन करना चाहिए,तथा दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हमेशा हेलमेट पहनकर और सीटबेल्ट बांधकर ही वाहन चलाना चाहिए । वाहन चलाते समय न तो फ़ोन पर बात करनी चाहिये, और न ही गाने सुनने चाहिए।
वाहनों की गति को नियंत्रण में रखकर 40 से 50 की स्पीड पर ही चलाना चाहिए।
और जितना हो सके वाहनों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। इस से पेट्रोल और प्रदूषण दोनों में कमी आएगी। छोटी दूरी की यात्रा पैदल या फिर साईकल से ही करनी चाहिए।
आपकी यात्रा मंगलमय हो ।
आइये हम सब मिलकर परिवर्तन की शुरुवात आज से ही करें ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सके ।
कमेंट के माध्यम से अपने प्यार भरे विचारों और सुझावों से मुझे अवश्य अवगत कराएं ।
आपके विचारों की प्रतीक्षा में ........
आभार आपका
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