दोस्तों चिकित्सक या डॉक्टर एक ऐसा व्यक्ति होता है, जो अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर हमारे अस्वस्थ हो जाने पर विभिन्न प्रकार की औषधियों के माध्यम से एक निर्धारित शुल्क लेकर हमें स्वस्थ कर देता है। चिकित्सक द्वारा इस प्रकार किये गए उपचार को चिकित्सा कहा जाता है।
हमारे समाज में चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। और उपयुक्त सम्मान किया जाता है |
जब भी हम लोगों को खांसी, बुखार, वायरल या अन्य किसी प्रकार के रोग हो जाते है, तो हम लोग बिना देरी किये तत्काल चिकित्सक के पास जाकर अपना इलाज कराते हैं।
क्या आपको पता है कि, पहले जब चिकित्सा के क्षेत्र में इतना विकास नहीं हुआ था, तो लोग उपचार कैसे कराते थे ?
पहले लोगों का उपचार आयुर्वेदिक पद्धति से वैद्य जी द्वारा किया जाता था। तीन चार गावों में एक ही वैद्य जी हुआ करते थे, जो गाँव के लोगो का उपचार किया करते थे। लेकिन वैद्य जी भी केवल छोटी मोटी बीमारियों का ही उपचार कर पाते थे, और गंभीर बीमारियों की दशा में रोगी की मृत्यु भी हो जाती थी। कुछ वैद्य सभी प्रकार के रोगों का इलाज़ करने में सक्षम थे, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होती थी, पहले बाह्य उपचार अधिक प्रचलन में था, क्योंकि शल्य चिकित्सा में असहनीय दर्द होता था, और इसका विकास तथा अनुसंधान प्रारंभिक दौर से गुज़र रहा था।
ऐसा नहीं है, कि जड़ी बूटियां फायदेमंद नहीं होती थी, किन्तु हाँ, असर होने में समय अवश्य लगता था, और तब तक देर हो जाती थी। आजकल विज्ञान की सहायता से चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
आज विभिन्न प्रकार की जाँचो के माध्यम से रोगी के रोगों का पहले ही पता लगा लिया जाता है, और समय पर उपचार देकर उसे पूर्णतः स्वस्थ भी कर दिया जाता है।
किन्तु गाँवो में चिकित्सा की व्यवस्था आज भी अत्यंत दयनीय है।
गाँवो में न तो अच्छे चिकित्सालय है, और न ही अच्छे चिकित्सक।
मुझे आज भी अच्छे से याद है, कि जब मैं और मेरा भाई छोटे थे, तो हमारा पूरा परिवार गाँव में ही निवास करता था। और सर्दियों की गलन भरी रातों में जब हम अचानक बीमार पड़ जाते थे, तो मेरी माँ, मेरे चाचा जी के साथ साईकल के पीछे कैरियर पर मुझे लेकर बैठ जाती थी, और मेरे चाचा जी रात में ही घर से 25 - 30 किलोमीटर दूर चिकित्सक के पास जाकर मेरा उपचार कराते थे।
गाँव में या उसके आस पास किसी भी चिकित्सक के न होने के कारण उनको इतनी दूर भूखे-प्यासे कड़ाके की ठंड में साईकल चलाकर जाना पड़ता था। कभी उनके पास चिकित्सक को देने के लिए पैसे होते थे और कभी नहीं।
किन्तु फिर भी चिकित्सक महोदय उपचार कर दिया करते थे, और कहते थे, बाद में जब हो जाये तब आ कर दे जाना या फिर जब अगली बार आना तब दे देना।
किन्तु आजकल की परिस्थियां बिल्कुल भिन्न हैं आज गाँवो में चिकित्सक तो हैं लेकिन गुमराह करने वाले और पैसे ऐठने वाले ।
कुछ लोग जो शहर में किसी अच्छे चिकित्सक के यहाँ कम्पाउण्डर होते है, वो गाँव में जाकर चिकित्सक बन जाते हैं और भोले भाले लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं।
पैसा कमाने के लिए कुछ लोग शहरों में आकर किसी पैथोलॉजी में कुछ दिन काम करके, एक दो चीज़े सीख लेते हैं, और गाँव में जाकर खुद की पैथोलॉजी खोल लेते हैं, और खुद चिकित्सक बन जाते हैं।
वो झोलाछाप चिकित्सक, मरीजों को उन्ही झोलाछाप पैथोलॉजी वालो के यहां जांच कराने को बोलते हैं।
भोला भाला मरीज ठीक होने के लिए जांच कराता है और फिर वो पैथोलॉजी वाले उन्हें जांच की रिपोर्ट भी देते हैं। लेकिन उस रिपोर्ट पर न तो चिकित्सक का नाम होता है, न ही हस्ताक्षर और न ही मुहर ।
और इसी फ़र्ज़ी जाँच के आधार पर वो झोलाछाप चिकित्सक मरीज का उपचार करना प्रारंभ भी कर देते हैं। और पैसे ऐंठने के बाद जब मरीज़ को फ़ायदा नहीं होता है तो उसे दूसरे चिकित्सक के पास जाने की सलाह देते हैं।
सरकारी चिकित्सालय के चिकित्सक अच्छे व अनुभव से परिपूर्ण होते हैं किंतु वहाँ पर भीड़ इतनी होती है कि आपको दिखाने में दो दिन तो लग ही जायेंगे।
और प्राइवेट चिकित्सालयों में महँगाई इतनी होती है कि सभी वर्गों के लिए प्राइवेट चिकित्सालयों में इलाज कराना संभव नही है। भिन्न भिन्न प्राइवेट चिकित्सालयों में एक ही बीमारी और एक ही जांच के मूल्यों में अंतर पाया जाता है।
इस बात में कोई संदेह नहीं कि चिकित्सक बनने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है, और कॉलेज और कोचिंग की फीस में पर्याप्त धन भी खर्च हो जाता है। किंतु चिकित्सक बनने के बाद सारा धन तत्काल वापस पाने की चाह में इलाज महंगा कर देना अच्छी बात नहीं। चिकित्सक के मन में चिकित्सा के समय धन पाने की चाह के साथ सेवा भाव का होना भी आवश्यक है।
दोस्तों सेहत हमारी है, इसलिए सजग भी हमें ही रहना होगा।
एक बहुत पुरानी कहावत भी है : जान है तो जहान है।
हमें अच्छे और अनुभवी चिकित्सक के पास ही उपचार कराना चाहिए, और रोग के बारे में चिकित्सक से आवश्यक जानकारी भी प्राप्त करनी चाहिए।
जिस प्रकार हम अन्य योजनाओं के लिए पैसे बचाते हैं, उसी प्रकार हमे बीमारियों के लिए भी अलग से बचत या निवेश करना चाहिए।
सरकार को भी चिकित्सा क्षेत्र के लिए ऐसे कानून बनाने चाहिए, जिससे इस प्रकार के झोलाछाप चिकित्सको पर लगाम लगे, और प्राइवेट चिकित्सालयों की मनमानी रुके।
चिकित्सा प्रत्येक जीव का मूलभूत अधिकार है चाहे वह मनुष्य हो या पशु |
जिस दिन अधिकतर लोग स्वस्थ होंगे, तभी एक अच्छे समाज और विकसित राष्ट्र का निर्माण हो सकता है।
स्वस्थ रहें । मस्त रहें ।।
दोस्तो आप लोग भी चिकित्सक और चिकित्सा पर अपने विचारों से मुझे अवश्य अवगत कराएं।
आपके विचारों की प्रतीक्षा में ।।
Gazab Bhai. Ekdum Sahi baat aur jhola chhap doctors ki Dukan Sarkar bhi nhi band karwati ulta hafta vasooli shuru kr dete h
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ।।
Deleteबिलकुल सत्य बात पर आपने दृष्टि डाली है दोस्त
ReplyDeleteधन्यवाद मित्र ।।
Deleteजी हाँ आभारम ।।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी बात बताई है आपने और बहुत ही अच्छी सोच है जिसके प्रति हर एक व्यक्ति को सचेत रहना चाहिए ....
ReplyDeletePlz share everyone and aware about it
धन्यवाद मित्र ।।
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