कल आज और कल

कल आज और कल

Sunday, August 4, 2019

विश्वासपात्र




जनवरी की कड़ कड़ाती ठंडी की  रात में नौ बजे दरवाज़े की घंटी सुनकर जब श्रीमती सुधा सक्सेना जी ने दरवाज़ा  खोला तो देखा सामने उनका ड्राइवर गुड्डू किसी लड़के के साथ खड़ा था ।

सुधा को देखते ही गुड्डू ने उनके पैर छुए और बोला पायँ लागू चाची जी, चाची ये मेरा दोस्त है मंटू ।
चरण स्पर्श करो चाची के .... गुड्डू ने मंटू से कहा ......
खुश रहो खुश रहो बेटे....... सुधा चाची  बोली ।

और बताओ गुड्डू बेटे कैसे हो ??
श्रीमान सक्सेना जी ने पीछे से आकर पूछा ..........
पायँ लागू चाचा जी ..........गुड्डू बोला ।
हाँ खुश रहो, खुश रहो बेटा..... ।

अरे.............. गुडडू बेटा ये कौन है ??
ये किसे ले आये हो....... अपने साथ ??

चाचा जी ये मेरा दोस्त मंटू है, आज ही गाँव से आया है ।
काम की तलाश में, यहाँ रहकर कोई काम धंधा ढूंढेगा ।
इसके पास ठहरने की कोई जगह नहीं थी, तो मैं इसे अपने साथ ले आया ।

चाचा जी अगर आपकी इजाज़त हो तो, ये आज रात मेरे साथ यहीं रुक जाए ।
और कल से अपने लिए कोई और  ठिकाना खोज लेगा ।

अरे इसमें पूछने की क्या बात है , गुड्डू  बेटा तुम दोनों रुक जाओ, आखिर यह भी तो तुम्हारा ही घर है। 
चाची बोली.............

नहीं सुधा नहीं ......... चाचा जी ने चाची का विरोध करते हुए कहा..........
जिसे हम जानते नहीं उसे हम अपने घर के अंदर  कैसे रुकने दे.......
अगर तुम लोगों को  रुकना ही है, तो तुम दोनों आज रात यहीं बाहर बरामदे में सो जाओ..........
चाचा जी बोले ।

इतना कह कर चाचा जी दूसरे कमरे में चले जाते हैं।

चाची बात को संभालते हुए बोली, अरे..... बेटा तुम लोग चिंता मत करो, ये तो ऐसे ही बड़बड़ाते रहते हैं, मैं इनको समझा बुझा कर मना ही लूंगी।  

अच्छा.......... गुड्डू बेटा तुम लोग बातें करो तब तक मैं सबके लिए खाने का प्रबंध करती हूँ । इतना कहकर चाची भी रसोई में चली जाती है।

गुड्डू और मंटू वही सोफे पर बैठ कर बातें करते हैं- जानता है मंटू यही मेरे मालिक हैं, रमेश सक्सेना ये एक बहुत बड़े सरकारी डॉक्टर है, और ये उनकी धर्मपत्नी हैं, सुधा सक्सेना बहुत ही सीधी सादी हैं।

अच्छा और कौन - कौन रहता है इनके साथ  मंटू ने पूछा ,

अबे और कोई नहीं रहता , बस यही दो लोग रहते हैं, इनका एक बेटा है, कुशल जो ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरी की पढ़ाई करता है , और एक बेटी है, विभा जो मलेशिया में डॉक्टरी की पढ़ाई करती है।

यहाँ पर बस यही दो लोग रहते है।

अबे इतने बड़े 4000 sq. ft के घर में सिर्फ यही दो लोग रहते हैं ?  मंटू ने आश्चर्य से पूछा ।

अबे हाँ बे....... गुड्डू बोला ।

तब तो यही, सही अवसर है, अपने काम को अंजाम देने का.... अब सुन हम दोनों लोग अंदर कमरे में चाचा - चाची के साथ ही लेटेंगे,........ और जब ये दोनों सो जाएंगे, तो मैं तुझे इशारा कर दूंगा, फिर दोनों को रात में ही गला घोंटकर मार देंगे, और  फिर सारा माल और गाड़ी लेकर हम उड़न छू हो जाएंगे ।

हाँ शाबाश.........ठीक है।  

इतने में एक आवाज आती है, गुडडू बेटा.......... खाना तैयार है, आ जाओ तुम  लोग ।
जी चाची आया.....चल बे  खाना खा लेते हैं।    

सुधा..... सुनो खाने के बाद इन दोनों का बिस्तर बाहर बरामदे में लगा देना, ये दोनों वही सो जायेंगे.......चाचा जी ने गुस्से से कहा............  

पर, जी वहां तो बहुत ठण्ड लगेगी.................  
चुप रहो तुम..... मैंने जो कहा वही करो बस.... चाचा जी ने चाची को चुप कराते हुए कहा।

चाची बड़ बड़ाते...... हुई बाहर चली गयी, और दोनों का बिस्तर बहार बरामदे में लगा दिया, अब गुड्डू और मंटू एक दूसरे को बस  देखते ही रह गए..........  

आओ बेटा गुड्डू आओ.......अपने  चाचा जी की बात का बुरा मत मानना, तुम तो इनको जानते ही हो, एकदम सनकी हैं ये.........सनकी..................

आओ तुम दोनों यहीं बरामदे में सो जाओ, मैंने मोटा गद्दा लगा दिया है....... और रजाई भी मोटी वाली है, बिलकुल भी ठण्ड नहीं लगेगी मेरे बच्चो को.......चाची ने पुचकारते हुए कहा ....

जी चाची आप जाओ, आप भी सो जाओ, हम लोग यहीं सो जायेंगे, कोई दिक्कत नहीं है, गुड्डू ने कहा ।

ठीक है, बेटा इतना कहकर चाची अंदर कमरे में चली जाती हैं।

अबे गुडडू................ अपना तो पूरा प्लान ही बिगड़ गया बे.......... ।
कोई बात नही मेरे दोस्त, मेरे पास प्लान बी है।

अच्छा वो क्या है ?  मंटू ने आश्चर्य से पूछा ..........

वो सब तुझे सुबह पता चल जाएगा............ चल अब सो जा वैसे भी बहुत देर हो चुकी है।  

अबे गुडडू एक बात तो  बता,  तुझे इस सनकी बुड्ढे के घर नौकरी मिली कैसे ?

अबे ये बुड्ढा जितना सनकी है,  उतना ही दयालु भी है ।

ये बात तब की है, जब मेरे पड़ोसी ने मुझे उसके घर में चोरी करते हुए देख लिया था, और वो मुझे पकड़ कर मेरे घर मम्मी-पापा के पास मेरी शिकायत करने लेकर  जा रहा था । मैंने उसके बहुत हाथ - पैर जोड़े , अंकल रहने दीजिये, माफ़ कर दीजिये, इस बार आगे से ऐसा नहीं होगा। मेरे मम्मी पापा को मत बताइये पर उसने मेरी एक न सुनी।  




तभी रास्ते में ही मैंने उसे अपने धारदार चाकू से घायल कर दिया ,  और उसके बाद पुलिस ने मुझे बाल सुधार गृह भेज दिया था ।

ये बुड्ढा उसी बाल सुधार गृह का डॉक्टर था ।
इसको मुझ पर दया आ गयी, और मेरी सज़ा खत्म होते ही, ये मुझे अपने घर ले आया ।

मेेरे घरवालो के लिए तो मैं उसी दिन मर गया था, जिस दिन मुझे पुलिस पकड़ कर ले गयी थी ।

इसलिए मैं भी इसके साथ यहाँ चला आया ।

यहाँ पर आकर मैंने ड्राइविंग सीख ली, और इसका ड्राइवर बन गया।  इसने तो मुझे पढ़ाने - लिखाने की भी कोशिश की...... पर तू तो जानता है....... ये सब अपने बस का रोग नहीं।  

यहाँ पर मैं एकदम राजाओं  की तरह रहता हूँ।
सुबह - शाम दूध, और तीनों टाइम मस्त चाची के हाथ का बना बनाया खाना मिलता है ।

तेरे तो ठाठ हैं बेटा ठाठ............... मंटू बोला ।

चल अब सो जा, सुबह जल्दी उठना है, गुडडू बोला ।

दूध वाला........... दूध ले लो.............. दूध वाला........... अपने साईकल की घण्टी बजाते हुए निकलता है।

दूध वाले की आवाज़ सुनकर चाची की नींद खुल जाती है।

उठते ही घड़ी की ओर देख कर चाची बोली, हे ईश्वर सुबह के सात बज गए, जाड़े में तो समय का पता ही नहीं चलता ।

चाची उठ कर किचन की तरफ जाती है,  और चाय बनाने के लिए बर्तन में पानी डालती हैं।
और अपने और चाचा जी  के पीने के लिए लोटे में पानी निकालती हैं।

इतने में चाचा की आवाज आती है, सुधा.............. आकर देखो ये दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा है ?

चाची दरवाज़े के पास आकर आवाज लगाती है,  गुडडू बेटा..... दरवाजा खोलो......... शायद जाम हो गया है ।
गुडडू बेटा .................गुडडू बेटा .................

लेकिन बाहर से गुडडू का कोई जवाब नहीं आता है।

चाचा घर के सभी दरवाज़े चेक करते है, लेकिन कोई भी दरवाजा नहीं खुलता है।

सभी दरवाज़े बाहर से बंद होते हैं।  

इतने में सुधा वापस किचन में पीने के लिए पानी लेने जाती हैं..... और देखती है...... कि पानी वाला लोटा और चाय वाला बर्तन किनारे किनारे से काला नीला हो चुका है।

अजी.............. सुनते हो.......... यहाँ आइये जल्दी...........

चाचा ने बर्तनों को देखा..... और उन्हें सब समझ मे आ गया ।
उन्होंने बिना देर किए पुलिस को फ़ोन कर दिया ।

गुड्डु और मंटू पानी की टंकी में ज़हर घोल कर....... और चाचा की स्विफ्ट डिजायर लेकर फरार हो गए ।

पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज़ कर ली है,  और उन लोगो की तलाश ज़ारी हैं।  


आजकल किस पर भरोसा किया जाय और किस पर नहीं कुछ समझ नहीं आता।  

कौन विश्वासपात्र हैं, और कौन नहीं 


3 comments:

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