ये वही लोग हैं, जिन्होंने देश के सबसे बड़े स्वच्छ भारत अभियान अर्थात नोटबन्दी में बिना रुके, बिना थके अर्थव्यवस्था की सफाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था ।
ये लोग सफाई हेतु सुबह 9 बजे आ जाते थे और रात के 2 बजे तक लगातार काम करते रहते थे ।
लेकिन ये सब बाते हम लोग भूल चुके हैं, क्योंकि ये सब बातें पुरानी हो चुकी हैं।
आज बैंक शाखा में प्रवेश करने वाला हर दूसरा ग्राहक यही कहता है, कि भाई आप लोग की नौकरी सबसे अच्छी है, मस्त A.C. में बैठे रहतें हैं, दिन भर और हर रविववार छुट्टी, मज़े हैं भाई आप लोग के तो।
ख़ैर उन्हें कौन समझाए A C में बैठकर गोली खाने से अच्छा है, धूप में सुरक्षित खड़े रहना ।
दोस्तों बैंक कर्मचारियों के साथ गाली गलौज, हाथापाई, ये सब तो आम बात है, लेकिन बैंक कर्मचारियों की हत्या की बढ़ती हुई घटनाएं एक संकट का विषय बन चुकी हैं।
अभी हाल ही में विजया बैंक के एक अधिकारी की दो बन्दूक धारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी।
दो लोग हेलमेट पहनकर और हाथ में रिवॉल्वर लेकर शाखा में प्रवेश करते हैं, और अधिकारी की हत्या करके आराम से भाग जाते हैं।
बैंक में हेलमेट पहनकर या मुँह बाँध कर प्रवेश करना निषेध है, लेकिन फिर भी लोग ऐसा करते हैं, और अगर कोई बैंक कर्मचारी उन्हें टोक दे तो लड़ने लगते हैं।
बैंक शाखा में गार्ड केवल सुबह १० से शाम 5 बजे तक ही रहते हैं यानी कैश के खुलने से लेकर कैश के बंद होने के समय तक, जबकि शाखा तो 8 बजे तक खुली रहती हैं।
क्या बैंक शाखा में गार्ड केवल कैश की सुरक्षा हेतु ही नियुक्त किये गए हैं ? क्या कर्मचारी की जान की कोई कीमत नहीं है ?
क्या बैंक कर्मचारी की सुरक्षा हेतु कोई कानून नहीं हैं ?
क्या ये सवाल नहीं उठने चाहिए ?
देश में जब भी कोई आपदा आती हैं, तो बैंक कर्मचारियों के एक-दो दिन का वेतन काट लिया जाता हैं और उस आपदा से निपटने के लिए प्रयोग किया जाता हैं।
आज बैंक कर्मचारियों पर आपदा आयी हैं, क्या किसी विभाग ने उस दुखी परिवार के लिए अपने एक दिन का वेतन दान किया हैं ?
ये इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है, आये दिन इस प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं, लेकिन आम आदमी की नज़र में नहीं आती, क्योंकि कोई न्यूज़ चैनल इस प्रकार की घटनाओ को प्रसारित नहीं करता है, और न ही कोई अखबार इसे छापता हैं , अगर कोई अखबार छापता भी है, तो किसी ऐसे कोने में जहाँ आसानी से आपकी नज़र भी नहीं जाएगी।
बैंक यूनियने भी इस तरह की घटनाओ का कोई विरोध करती नज़र नहीं आती हैं। कारण कोई भी हो लेकिन बैंक कर्मचारियों की इस प्रकार हो रही ये हत्याएं असहनीय हैं।
अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल में कुछ जूनियर डॉक्टर्स के साथ हुई झड़प का क्या परिणाम हुआ, उससे पूरा देश भली प्रकार परिचित हैं।
क्या ये हमारी बैंक यूनियनों का कर्तव्य नहीं, की वो एकजुट होकर इस घटना का विरोध करें ?
इस प्रकार बैंक कर्मचारियों की हो रही ये हत्याएं असहनीय हैं, और सभी को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए, और कठोर से कठोर कदम उठाने चाहिए।
Rightly said . Sir I also want to post a blog plz guide me.
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