जैसा कि आप सभी लोग जानते ही हैं कि दीपावली खुशियों का एक पर्व है क्योंकि इस दिन प्रभु श्री राम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपनी पत्नी माँ सीता व भ्राता श्री लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आये थे तो इस दिन पूरे अयोध्या वासियो ने उनके आगमन की खुशी में घी व तेल के दीप जलाकर उनका स्वागत किया था ।
दीपावली का अर्थ ही है दीपों का त्योहार। दीपावली के पहले ही लोग अपने घरों में साफ सफाई कर लेते है और दीपावली के दिन विशेष प्रकार के भोजन और मिठाइयां बनाते हैं। दीपावली की शाम को सभी लोग माँ लक्ष्मी और विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते है घरो को रंगोली और विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी झालरों और दीपो से सजाते हैं और बच्चे और बड़े मिलकर पटाखे भी फोड़ते हैं।
लेकिन मित्रो क्या आपको ये पता है कि पहले लोग पटाखे क्यो फोड़ते थे ?
पहले लोगो के पास आज की तरह मोबाइल फ़ोन नही हुआ करते थे तो लोग पटाखे फोड़ के संदेश देने का काम किया करते थे। जहाँ तक पटाखे की आवाज जाती थी वहाँ तक लोगो को पता चल जाता था कि अवश्य ही कहीं पर कोई खुशी की बात है।
किन्तु आज लोगो को इस बात का कोई आभास ही नही है कि आज वे पटाखे का प्रयोग संदेश देने के लिए नही अपितु, पर्यावरण को जाने अनजाने हानि पहुँचाने के लिए कर रहे हैं और कई बार इन्ही पटाखों से हम लोग स्वयं को भी हानि पहुँचा लेते हैं। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि जहाँ तक हो सके पटाखों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
पहले सभी संबंधी और रिश्तेदार इन्ही पर्वो को एकसाथ मिलकर मनाते थे सभी साथ मे बैठकर खाना खाते थे और पूरा दिन साथ मे व्यतीत करते थे। लेकिन आजकल जीवन इतना ज्यादा व्यस्त हो चुका है कि किसी भी पर्व पर पूरा परिवार एकत्रित नही हो पाता सभी लोग बस फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर एक दूसरे को बधाई दे देते है आजकल बच्चे सिर्फ पटाखे फोड़ने को ही दीपावली समझते हैं।
अगर इसी प्रकार हम लोग अपने जीवन मे व्यस्त होते गए तो कुछ ही समय बाद सारे पर्व और उनके महत्व विलीन हो जाएंगे ।
इसलिए हमें सारे पर्व खुद भी धूम धाम से मनाने चाहिए और बच्चो को भी उनके महत्व के बारे में बताना चाहिए क्योकि हर पर्व का अपना एक अलग महत्व है और हर पर्व अपने साथ ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आता है।
आप सभी को एक बार फिर दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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